आज हम जानेंगे कि UGC Net Sanskrit Syllabus In Hindi 2024 Pdf, यूजीसी नेट संस्कृत सिलेबस pdf आपको नीचे प्रदान करने वाले है.
UGC NET sanskrit Exam Pattern In Hindi –
अब हम आपको UGC NET sanskrit Exam Pattern In Hindi के बारे विषय के अनुसार बताने वाले है –
- लिखित परीक्षा (Written Exam) –
- Paper – I
- Paper – II
- दस्तावेज सत्यापन (Document Verification)
विषय | प्रश्नों की संख्या | अंक | समय |
प्रश्न पत्र-1 शिक्षण और शोध अभिवृत्ति | 50 | 100 | |
प्रश्न पत्र-2 Sanskrit Subject Topics | 100 | 200 | |
योग | 150 | 300 | 3 घंटे |
- इस परीक्षा प्रश्न पत्र में MCQ वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न होंगे।
- इसकी लिखित परीक्षा में आपसे कुल 150 प्रश्न पूछे जाएंगे जिसमें प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का होगा।
- अभ्यर्थी को प्रश्न पत्र हल करने के लिए 180 मिनट का समय दिया जायेगा।
- इस परीक्षा में आपके द्वारा किसी प्रश्न का गलत उत्तर देने पर अंक नही काटा जायेगा.
UGC NET sanskrit Syllabus In Hindi –
अब हम यंहा पर हम UGC NET sanskrit Syllabus In Hindi अनुसार बताने वाले है और यदि आपको यंहा पर संशय होतो UGC NET sanskrit Syllabus In Hindi 2024 Pdf हम UGC NET की ऑफिसियल वेब पोर्टल से भी देख सकते है.
UNIT-1 |
वैदिक-साहित्य (क) वैदिक-साहित्य का सामान्य परिचय : वेदों का काल : मैक्समूलर, ए. वेबर, जैकोबी, बालगंगाधर तिलक, एम. विन्टरनिट्ज, भारतीय परम्परागत विचार संहिता साहित्य संवाद सूक्त : पुरुरवा – उर्वशी, यम– यमी, सरमा-पणि, विश्वामित्र नदी ब्राह्मण साहित्य आरण्यक साहित्य वेदांग : शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष |
UNIT-2 |
(ख) वैदिक साहित्य का विशिष्ट अध्ययन : निम्नलिखित सूक्तों का अध्ययन : ऋग्वेदः – अग्नि (1.1), वरुण (1.25), सूर्य (1.125), इन्द्र (2.12), उषस् (3.61), पर्जन्य (5.83) अक्ष (10.34), ज्ञान (10.71), पुरुष (10.90), हिरण्यगर्भ (10.121), वाक् (10.125), नासदीय (10.129) शुक्लयजुर्वेदः – शिवसंकल्प, अध्याय 34 (1-6), प्रजापति, अध्याय 23 (1-5) अथर्ववेद : राष्ट्राभिवर्धनम् (1.29), काल (10.53), पृथिवी (12.1) ब्राह्मण-साहित्य : प्रतिपाद्य विषय, विधि एवं उसके प्रकार, अग्निहोत्र, अग्निष्टोम, दर्शपूर्णमास यज्ञ, पंचमहायज्ञ, आख्यान (शुन : शेष, वाङ्मनस्)। उपनिषद्-साहित्य : निम्नलिखित उपनिषदों की विषयवस्तु तथा प्रमुख अवधारणाओं का अध्ययन : ईश, कठ, केन, बृहदारण्यक, तैत्तिरीय, श्वेताश्वतरवैदिक व्याकरण, निरुक्त एवं वैदिक व्याख्या पद्धति : ऋक्प्रातिशाख्य : निम्नलिखित परिभाषाएँ – समानाक्षर, सन्ध्यक्षर, अघोष, सोष्म, स्वरभक्ति, यम, रक्त, संयोग, प्रगृह्य, रिफित । निरक्त (अध्याय 1 तथा 2 ) चार पद – नाम विचार, आख्यात विचार, उपसर्गों का अर्थ, निपात की कोटियाँ, निरुक्त अध्ययन के प्रयोजन निर्वचन के सिद्धान्त निम्नलिखित शब्दों की व्युत्पत्ति : आचार्य, वीर, ह्रद, गो, समुद्र, वृत्र, आदित्य, उषस्, मेघ, वाक्, उदक, नदी, अश्व, अग्नि, जातवेदस्, वैश्वानर, निघण्टु निरुक्त (अध्याय 7 दैवत काण्ड) वैदिक स्वर : उदात्त, अनुदात्त तथा स्वरित वैदिक व्याख्या पद्धति: प्राचीन एवं अर्वाचीन |
UNIT-3 |
इकाई – III दर्शन निम्नलिखित के विशेष संदर्भ में दर्शन के प्रमुख विद्यालयों का सामान्य परिचय: प्रणाममानसा ; तत्त्वमीमांसा ; अचरममानसा (चार्वाक, जैन, बौद्ध) न्याय, सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा |
UNIT-4 |
दर्शन साहित्य: विशेष अध्ययन ईश्वरकृष्ण: सांख्यकारिका – सत्कार्यवाद, पुरुषस्वरूप, प्रकृतिस्वरूप, सातिक्रमा, प्रत्यायसर्ग, कैवल्य। सदानंद: वेदांतसार – अनुबन्ध-चतुष्टय, आज्ञाना, अध्यारोप-अपवाद, लिंगसाररोटपट्टी, पंचकरण, विवर्त, जीवनमुक्ति अन्नम्भा, तारकासग्रह / केशवमीश्र; तारकभांडा : पदर्थ; कराणा; प्रमाण; (प्रत्यक्ष; अनुमन; उपमान; शब्द), प्रमाणवाद, प्रमय। लौगाक्षिभास्कर ; अर्थसंग्रह। पतंजलि ; योगसूत्र – (व्यासभाय्या) : चित्तभूमि, चित्तवृत्ति ; ईश्वर की अवधारणा; योगांग; समाधि ; कैवल्य बदरायण ; ब्रह्मसूत्र 1.1 (शंकरभाण्य) विश्वनाथपंचन; न्यायसिद्धान्तमुक्तावली (अनुमान खाँ) सर्वदर्शन-संग्रह ; जैन धर्म; बुद्ध धर्म |
UNIT-5 |
व्याकरण एवं भाषाविज्ञान (क) सामान्य परिचय : निम्नलिखित आचार्यों का परिचय – पाणिनि, कात्यायन, पतंजलि, भर्तृहरि, वामनजयादित्य, भट्टोजिदीक्षित, नागेश भट्ट, जैनेन्द्र, कैय्यट, शाकटायन, हेमचन्द्रसूरि, सारस्वतव्याकरणकार। पाणिनीय शिक्षा भाषाविज्ञान : भाषा की परिभाषा, भाषा का वर्गीकरण (आकृतिमूलक एवं पारिवारिक), ध्वनियों का वर्गीकरण : स्पर्श, संघर्षी, अर्धस्वर, स्वर (संस्कृत ध्वनियों के विशेष संदर्भ में), मानवीय ध्वनियंत्र, ध्वनि परिवर्तन के कारण, ध्वनि नियम (ग्रिम, ग्रासमान, वर्नर) अर्थ परिवर्तन की दिशाएँ एवं कारण, वाक्य का लक्षण व भेद, भारोपीय परिवार का सामान्य परिचय, वैदिक संस्कृत एवं लौकिक संस्कृत में अन्तर, भाषा तथा वाक् में अन्तर, भाषा तथा बोली में अन्तर। |
UNIT-6– |
व्याकरण का विशिष्ट अध्ययन परिभाषा: संहिता, संयोग गुण, वध, प्रतिपादिका, नाड़ी, घी, उपाधा, अप्क्ता, गति, पद, विभा, सवर्ण, शि, प्रज्ञा, सर्वनामस्थान, भा, सर्वनाम, निष्ठा । संधि – एसी संधि, हल संधि, विसर्ग संधि (के अनुसार लघुसिद्धान्तकौमुदी) सुबंत – अजंता – राम, सर्व (सभी लिंगों में), विश्वपा, हरि, त्रि (सभी में) लिंग), सखी, सुधी, गुरु, पितृ, गौ, रामा, माटी, नाड़ी, धेनु, माटी, ज्ञान, वारी, मधु। हलंता – लिह, विश्ववाह, कैटूर (सभी लिंगों में), इदम, किम, तद (सभी में) लिंग), राजन, माघवन, पथिन, विद्वास, असमद, युसमद। समसा – अव्ययभाव, तत्पुरुष, बहुवृष्टि, द्वंद्वा (के अनुसार) लघुसिद्धान्तकौमुदी) तद्धित – अपत्यार्थक और मत्वार्थ्य (सिद्धान्तकौमुदी के अनुसार), तिशान्ता – भी , एध , विज्ञापन , हम , हू , दिव , शुन , टुड , तान , कु , रुध , कृण , कुर प्राययंता – निजंत, सन्नंत, यशंत, यालुगंता, नामधातु। किदंत – तव्य / तव्यात, अनीयर, यत, शियात, क्याप, शती, सानक, कतवा, कता, कतवतु, तुमुन, शमुल। स्त्रत्रप्रत्यय – लघुसिद्धान्तकौमुदी के अनुसार । कारक प्रकरण – सिद्धांतकमुदी के अनुसार । परस्माइपदा और आत्मानपाद विधान – सिद्धांतकमुदी के अनुसार । महाभाष्य (पस्पाहनिका) – शब्द की परिभाषा, शब्द और शब्द के बीच संबंध अर्थ, व्याकरण के अध्ययन के उद्देश्य, व्याकरण की परिभाषा, के परिणाम शब्द का उचित उपयोग, व्याकरण की विधि। वाक्यापद्यम (ब्रह्मकांड) – स्पोष की प्रकृति, शब्द-ब्रह्म की प्रकृति, शब्द-ब्रह्म की शक्तियां, स्पोष और ध्वनि के बीच संबंध, संबंध शब्द और अर्थ के बीच, ध्वनि के प्रकार, भाषा के स्तर। |
UNIT-7 |
संस्कृत साहित्य, काव्यशास्त्र एवं छन्दपरिचय : (क) निम्नलिखित का सामान्य परिचय : भास, अश्वघोष, कालिदास, शूद्रक, विशाखदत्त, भारवि, माघहर्ष, बाणभट्ट, दण्डी, भवभूति, भट्टनारायण, बिल्हण, श्रीहर्ष, अम्बिकादत्तव्यास, पंडिता क्षमाराव, वी. राघवन्, श्रीधर भास्कर वर्णेकर । काव्यशास्त्र : रससम्प्रदाय, अलंकारसम्प्रदाय, रीतिसम्प्रदाय, ध्वनिसम्प्रदाय, व्रकोक्तिसम्प्रदाय, औचित्यसम्प्रदाय पाश्चात्य काव्यशास्त्र : अरस्तू, लॉन्जाइनस, क्रोचे । |
UNIT-8 |
कविता: बुद्धचरितम (प्रथम सर्ग), रघुवंशम (प्रथम सर्ग), किरातार्जुनीयम (प्रथम सर्ग), शिशुपालवधाम (प्रथम सर्ग), नैषध्यचरितम् (प्रथम सर्ग) नाटक: स्वप्नवासवदत्तम, अभिज्ञानशाकुंतलम, मच्छकशिकम, उत्तरारामचरम, मुद्राराक्षसम्, उत्तरारामचरम, रत्नावली गद्य: दशकुमारचरम, हरणचरितम , कादंबरी (शुकनासोपदेश) कैम्पी काव्य – नल कैम्पी (मैं उच्चवास) साहित्यदर्पण: काव्य की परिभाषा, काव्य की अन्य परिभाषाओं का खंडन, शब्दशक्ति – शंकेतग्रह; अभिधा; लक्ष्मणा; व्यंजना, काव्यभेद (चौथा अध्याय), श्रव्यकाव्य (गद्य कविता और मिश्रण) काव्याप्रकाश – काव्यालक्ष, काव्यप्रयोजन, काव्यहेतु, काव्यभेद, शब्दशक्ति, अभितांवायवाद, अन्विताभिधनवायवाद, रस की अवधारणा, की चर्चा रससूत्र, रसदोष, काव्यगुण, व्यंजनावृति (पाँचवाँ अध्याय) अलंकार – वक्रोक्ति; अनुप्रास, यमक, श्लेष, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, समसूक्ति, अपहन्नति, निदान, अर्थान्तरण्यस, दान्त, विभवना, विषोक्ती, स्वाभावोक्ति, विरोधभास, शंकर, सांसी: ध्वनिलोक (मैं उद्योगोता) वक्रोक्तिजीवितं (मैं उन्मेष) भरत-नाय्यशास्त्रम (पहला और छठा अध्याय) दशरीपकम (पहला और तीसरा प्रकाश) चंदा – आर्य, अनुषुप, इंद्रवज्र, उपेंद्रवज्र, वसंततिलक, उपजाति, वस्थ, द्रुतविलम्बिता, शालिनी, मालिनी, शिखर, मंदक्रांता, हरीश, शारदिलविकृत, श्रगधरन |
UNIT-9 |
पुराणेतिहास, धर्मशास्त्र एवं अभिलेखशास्त्र (क) निम्नलिखित का सामान्य परिचयः रामायण – विषयवस्तु, काल, रामायणकालीन समाज, परवर्ती ग्रन्थों के लिए प्रेरणास्रोत, साहित्यिक महत्त्व, रामायण में आख्यान महाभारत – विषयवस्तु, काल महाभारतकालीन समाज, परवर्ती ग्रन्थों के लिए प्रेरणास्रोत, साहित्यिक महत्त्व, महाभारत में आख्यान। पुराण – पुराण की परिभाषा, महापुराण – उपपुराण, पौराणिक सृष्टि-विज्ञान, पौराणिक आख्यान। प्रमुख स्मृतियों का सामान्य परिचय। अर्थशास्त्र का सामान्य परिचय। लिपि : ब्राह्मी लिपि का इतिहास एवं उत्पत्ति के सिद्धान्त |
UNIT-10 |
(ख) निम्नलिखित ग्रन्थों का विशिष्ट अध्ययन कौटिलीय अर्थशास्त्रम् (प्रथम-विनयाधिकारिक) मनुस्मृतिः – ( प्रथम, द्वितीय तथा सप्तम अध्याय) याज्ञवल्क्यस्मृतिः – ( व्यवहाराध्याय) लिपि तथा अभिलेख – गुप्तकालीन तथा अशोक कालीन ब्राह्मी लिपि । अशोक के अभिलेख – प्रमुख शिलालेख, प्रमुख स्तम्भ लेख मौर्योत्तर कालीन अभिलेख – कनिष्क के शासन वर्ष 3 का सारनाथ बौद्ध प्रतिमा लेख, रुद्रदामन् का गिरनार शिलालेख, खारवेल का हाथीगुम्फा अभिलेख गुप्तकालीन एवं गुप्तोत्तरकालीन अभिलेख – समुद्रगुप्त का इलाहाबाद स्तम्भलेख, यशोधर्मन् का मन्दसौर शिलालेख, हर्ष का बांसखेड़ा ताम्रपट्ट अभिलेख, पुलकेशिन् द्वितीय का ऐहोल शिलालेख. |
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निकर्ष-
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